बैराड़ संवाददाता-
एक तरफ जहां हाल ही में बीते समय की भयाभय स्थिति ने पूरे देश सहित दुनिया को झकझोर कर दिया है तो वहीं सरकार द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करने और स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ स्टाफ को हर समय हर स्थिति से सजग रहते हुऐ मरीजों को समुचित उपचार के लिये समय समय पर कड़े निर्देश जारी किये जा रहे हैं। लेकिन शासन के इन निर्देशों का जमीनी स्तर पर कितना असर देखने को मिल रहा है इसका अंदाजा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बखूबी वयां करती नजर आ रही है।
मामला शिवपुरी जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बैराड़ का है जहां अस्पताल प्रबंधन का हिटलरशाही रवैया न केवल शासन के सभी दिशा-निर्देशों को ठेंगा दिखाता नजर आ रहा है बल्कि क्षेत्रवासियों के लिये भी खासी मुसीबत का सबब बन रहा है। यहां पदस्थ स्टाफ अपने फर्ज और कर्तव्य से विमुख होकर पूर्णतः मनमर्जी पर उतारू है जिसके चलते यहां मरीजों को सही उपचार नहीं मिल रहा है जिसे लेकर आये दिन स्वास्थ्य केन्द्र सुर्खियों में बना रहता है।
मनमर्जी से आने जाने से विगड़ रहे हालात-
यहां स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ स्टाफ की मनमर्जी का आलम यह है कि स्टाफ अपनी स्वेच्छा से जब चाहे आता है और जब चाहे जाता है और यही नहीं बल्कि हफ्ते भर भी गायब रहने के लिये इन्हें किसी की परमिशन की आवश्यक्ता नहीं होती है और रही बात उपस्थिति रजिस्टर की तो बाद में आकर सभी खाली दिनों की उपस्थिति दर्ज कर दी जाती है। ऐसे में आये दिन अस्पताल में स्टाफ की कमी होने से व्यवस्थाऐं चरमराना तय है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
अस्पताल प्रबंधन से जुड़े सूत्रों से हुआ खुलासा-
बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र में स्टाफ की कमी के चलते बिगड़ते हालातों की पड़ताल की गई तो सामने आया कि यहां पदस्थ स्टाफ अपनी मर्जी से जब चाहे अवकाश ले लेता है और जब चाहे वापस आ जाता है और तो और उपस्थिति भी शत-प्रतिशत दर्ज होती है फिर ऐसा कैसे किया जा सकता है इस पर हमारी पड़ताल जारी थी कि बीते माह नवम्वर का मामला प्रमाणित तौर पर सामने आ गया जिसमें अस्पताल में पदस्थ एस.एन. श्रीमति नीतू लगातार दो हफ्ते से अधिक समय के लिये अवकाश पर रहीं, इस बीच खाली पड़ा इनका उपस्थिति कॉलम इस बात को प्रमाणित करता है।
(खाली पड़ा नबम्वर माह का हाजिरी कॉलम) |
लेकिन अगले ही पल जब एस.एन. श्रीमति नीतू अवकाश से लौटकर अस्पताल आईं तो बीते दिनों का रिक्त पड़ा उपस्थिति कॉलम भरा हुआ नजर आया जो उक्त एस.एन की शत-प्रतिशत उपस्थिति को प्रमाणित करता है। ऐसे हालातों में अस्पताल की व्यवस्था क्या होगी इसका अदाजा लगाया जा सकता है।
(शत प्रतिशत हाजिरी दिखाता कॉलम) |
निगेहवानों की मौन स्वीकृति के चलते विगड़ रहे हालात-
यहां इस प्रकार की अव्यवस्थाओं के व्याप्त होने का कारण जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति नजर आ रही है जिन्हें अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाऐं दिखाई ही नहीं देतीं और तो और यदि इन्हें हालातों से रूबरू कराने का प्रयास भी किया जाता है तो ऐ आंखे बंद कर लेते हैं नतीजन अस्पताल प्रबंधन का हिटलरशाही रवैया सिर चढ़कर बोल रहा है।
अस्पताल में मीडिया पर प्रतिबंध तो जिम्मेदारों को फोन से परहेज-
प्रबंधन की मनमानी और अस्पताल की लचर व्यवस्थाओं की कलई खुलने के भय से बैराड़ अस्पताल प्रबंधन द्वारा ऐसे हालात पैदा कर लिये गये हैं कि यहां ऐसा लगता है कि जैसे मीडिया पर अघोषित प्रतिबंध लगा दिया गया है ऐसा इसलिये है क्योंकि बीते समय ऐसे कई मामले सामने आये हैं जब स्थानीय मीडियाकर्मीयों द्वारा अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर कवरेज के दौरान यहां पदस्थ मेडिकल ऑफिसर की दबंगई का शिकार तथा स्टाफ द्वारा फर्जी शिकायतें पुलिस थाने में दर्ज कराई गईं हैं। और ऐसा केबल यहीं नहीं अपितू उक्त मेडिकल ऑफिसर के कार्यकाल में अन्य जगह भी होता रहा है। इसके अलाबा हालात यह भी हैं कि बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र से संबंधित मामलों में जब कभी पोहरी बीएमओ से चर्चा की जाती थी तो उनका कोई स्पष्ठीकरण नहीं मिलता था और वर्तमान में तो हालात यह हैं कि बीएमओ को मीडियाकर्मीयों के फोन से भी परहेज है। जिसके चलते स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अंधेरगर्दी दिन व दिन बड़ती जा रही है।