दबंग बैराड़.
जिले का शामु. स्वास्थ्य केन्द्र बैराड़ विगत काफी समय से अव्यवस्थाओं का गढ़ बना हुआ है यहां पदस्थ स्टाफ मरीजों की चिंता फिकर किये बगैर अपनी मन मस्ती में मशरूफ है और हो भी क्यों न, क्योंकि यहां पदस्थ मेडिकल ऑफिसर द्वारा स्टाफ को खुली छूट जो दी गई है। इतना ही नहीं बल्कि हालात यहां तक हैं कि स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर स्थानीय पत्राकार समाचार तक प्रकाशित नहीं कर सकते और जो ऐसा करने की नियत से यदि स्वास्थ्य केन्द्र पहुंच भी गया तो यहां पदस्थ मेडिकल ऑफीसर द्वारा महिला स्टाफ से छेड़छाड़, मारपीट आदि के आरोप लगा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करादी जाती है मेडिकल ऑफीसर के इस रवैये का शिकार पूर्व में कई स्थानीय पत्राकार हो चुके हैं जिसके बाद से कोई भी पत्राकार स्वास्थ्य केन्द्र की ओर रूख नहीं करता है। और मेडिकल ऑफीसर की इस दबंगई के चलते यहां पूरा स्टाफ अपनी मस्ती में मस्त रहता है।
डिलीवरी पॉइन्ट है बैराड़-
जबकि विषय की गंभीरता को यदि देखा जाये तो बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र डिलीवरी पॉइन्ट है जहां आये दिन लगभग एक दर्जन से अधिक डिलीवरी केस आते हैं। यहां गौरतलब होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चौपट पड़ी हुई है ऐसे में बैराड़ के आस-पास के करीब आधा सैकड़ा से अधिक ग्रामों लोग यहां आते हैं। लेकिन यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते अधिकांश मामलों में यहां विवादित स्थिति उत्पन्न होती है।
विना पैसे नहीं होती डिलीवरी -
इसके अलावा यहां पदस्थ स्टाफ द्वारा पैसे के लेन देन के बगैर डिलीवरी तो दूर प्रसूता को भर्ती तक नहीं किया जाता और तो और यदि रात्रि के समय कोई केस आया तो फिर तो भगवान भरोसे ही समझिये । यहां उपचार हेतु आने बाले ग्रामीणों, प्रसूताओं को स्वास्थ्य केन्द्र के इन हालातों से मजबूरी बस समझौता करना पड़ता है अन्यथा की स्थित में तत्काल रैफर टू शिवपुरी कर दिया जाता है। ऐसे हालातों में ग्रामीण क्षेत्रा से आने बाले गरीबों की क्या हालत होती होगी इसका अंदाजा बखूवी लगाया जा सकता है।
स्टाफ की दबंगई का शिकार हो रहे हैं मरीजों के परिजन-
जब मुखिया द्वारा स्टाफ को खुली छूट दे दी जाये तो हालात क्या होंगे इसका प्रमाण बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र है और फिर आये दिन यहां सामने आने बाले मामलों को यदि देखा जाये तो स्थित बद से बदतर नजर आती है यहां भर्ती मरीजों तक के लिये मूलभूत सुविधाओं का टोटा है फिर ऐसे में मरीजों के साथ आने बाले अटेण्डरों की स्थित तो और भी खराब है लेकिन क्या कहें उक्त हालातों पर यदि किसी मरीज के परिजनों ने यदि स्टाफ से कुछ कह दिया तो अभद्र भाषा सहित हाथापाई तथा सीधा एफआईआर की नौवत से भी गुजरना पड़ सकता है। जो कि आये दिन देखने में आता है। अभी विगत दिनों ही स्वास्थ्य केन्द्र से एक मामला सामने आया था जहां भर्ती मरीज के परिजन दो युवाओं ने स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं का बीडियों बना मीडिया को सूचना दी थी इस पर स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे एक मीडियाकर्मी ससहित उक्त युवाओं की पहलें तो डॉक्टर तथा स्टाफ ने मिलकर हजामत कर डाली उसके बाद यहां पदस्थ महिला स्टाफ से छेड़छाड़ आदि के अनेक मनगढंत आरोपों का चिठ्ठा मेडिकल ऑफीसर द्वारा पुलिस थाने में दे दिया गया था।
अक्सर विवादों में रहते हैं मेडिकल ऑफीसर-
इन दिनों स्वास्थ्य केन्द्र बैराड़ का प्रभार संभाल रहे मेडिकल ऑफीसर अपने पूर्व कार्यकाल में भी विवादों से घिरे रहे हैं। क्योंकि उक्त मेडिकल ऑफीसर को अपनी जिम्मेदारी तथा कर्तव्य का कोई ख्याल नहीं है वे जहां भी जाते हैं वस अपना रौव जमाकर मनमानीयां करते रहे हैं। यही नहीं बल्कि आज जो हालात बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र के हैं वे ही हालात इइनके पूर्व कार्यकाल के दौरान हर जगह रहे हैं।
जनप्रतिनिधीयों ने भी नहीं दिया ध्यान-
बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र की जग जाहिर इस स्थित की ओर आज दिनांक तक न तो सत्ताधारीयों और न ही विपक्ष के नेताओं ने कोई ध्यान दिया है। जबकि बैराड़ क्षेत्रा में सत्ताधारी पार्टी के कई ऐसे नेता मौजूद हैं जो स्वयं को दिग्गजों की श्रोणी में आंकते हैं इतना ही नहीं बल्कि क्षेत्राीय विधायक (मंत्राी) ने भी इस विषय पर ध्यान देना उचित समझा जिसके चलते यहां पदस्थ मेडिकल ऑफीसर स्वयं को सेवक से शासक समझ बैठे हैं और जमकर तानाशाही पर उतारू हैं। जिसका खामियाजा यहां ग्रामीण क्षेत्रा से आने बाले मरीजो को आये दिन भुगतना पड़ रहा है।