वन अपराधियों पर महरवान कोलारस रेंजर, बड़ी घटना होते-होते टली

 


दबंग रिपोर्ट कोलारस-

कोलारस वन क्षेत्र में माफियाओं की सक्रियता किसी से छुपी नहीं है यहां वन क्षत्र में जमकर अबैध उत्‍खनन तथा वनों को कटाई  यहित वन भूमि को माफियाओं द्वारा जोत कर खेती की जा रही है और यह सब जिम्‍मेदारों की मिलीभगत से ही संभव है ऐसे में क्षेत्र में लगातार हो रहा उत्‍खनन वनों को भारी क्षति तो पहुंचा ही रहा है साथ ही हरे भरे बृक्षों की कटाई का काम भी जोरों पर चल रहा है जिसके फलस्‍वरूप जंगल अब नष्‍ट होने की कगार पर आ पहुंचे हैं, और फिर ऐसे में जिम्‍मेदार अधिकरी इस सब पर अंकुश लगाने की बजाये उल्‍टा इन तस्‍करों, माफियाओं को संरक्षण प्रदान करते नजर आ रहे हैं जिसके परिणामस्‍वरूप हालात यह हैं कि माफिया क्षेत्र में इतना हावी है कि वह वन विभाग के छोटे-मोटे कर्मचारीयों को तो वह कुछ समझते ही नहीं, जिसे लेकर आये दिन क्षेत्र में माफियाओं और वन कर्मीयों से बाद-विवाद के मामले सामने आते रहते हैं। अर्थात कोलारस वन परिक्षेत्र अधिकारी का माफियाओं, तस्‍करों से तालमेल वनों के विनाश के साथ ही किसी बड़ी घटना को आमंत्रित करता नजर आ रहा है।

बड़ी घटना होते-होते टली-

मामला विगत दिनांक 01 जुलाई की रात्रि लगभग नौ बजे का है जब कोलारस वन क्ष्‍ोत्र हरीपुर के आस पास से एक ट्रेक्‍टर प्रतिबंधित बवूल की हरी लकड़ी का परिवहन करता पाया गया था जिसे डिप्‍टी रेंजर फरीद खान द्वारा पकड़ लिया गया और मामले की सूचना कोलारस रेंजर को दी गई लेकिन यहां डिप्‍टी रेंजर द्वारा उक्‍त ट्रेक्‍टर को पकड़ना तब भारी पड़ गया जब कोलारस रेंजर द्वारा उन्‍हें सहियोग प्रदान कर उक्‍त ट्रेक्‍टर पर कार्यवाही करने की अपेक्षा उल्‍टा उनके साथ मौजूद अन्‍य दो वन कर्मीयों को फौरन मौके से वापस रेंज में बुला लिया जिसके बाद मौके पर अकेला खड़ा डिप्‍टी रेंजर रेंजर को फोन लगाकर स्‍टाफ भेजने की मांग करता रहा लेकिन लगभग दो घण्‍टे बीत जाने के उपरान्‍त भी स्‍टाफ मौके पर पहुंचा। इस बीच वाहन मालिक द्वारा डिप्‍टी रेंजर फरीद खान को कई प्रकार से प्रलोभन तथा रेंजर की सहमति होने का हवाला देकर विना कार्यवाही ट्रेक्‍टर ले जाने का प्रयास किया और नहीं मानने पर उन्‍हें डराने, धमकाने का भी भरपूर प्रयास किया गया। इतने में उक्‍त मामले की सूचना मिलते ही मीडिया भी मौके पर पहुंच गया, मीडियाकर्मीयों द्वारा भी उक्‍त मामले में कोलारस रेंजर को सूचना दे कार्यवाही करने को कहा गया तो उन्‍होंने क्षेत्र में होने का बहाना वना स्‍टाफ उपलब्‍ध न हो पाना बताया और मामले से पल्‍ला झाड़ लिया जबकि इस बीच सूत्रों की मानें तो उस समय रेंजर किसी क्षेत्र में न होते हुऐ अपनी कोठी पर मौजूद थीं। लेकिन न तो वे स्‍वयं मौके पर पहुची और न ही अन्‍य स्‍टाफ को भेजा,  इस बीच लगभग तीन घण्‍टे बीत चुके थे जिसके बाद मीडियाकर्मीयों द्वारा मामले की सूचना डीएफओ को दी गई और सारा माजरा बताया जिस पर डीएफओ द्वारा उक्‍त डिप्‍टी रेंजर से भी बातचीत कर मौका स्थित जानी और ट्रेक्‍टर पर कार्यवाही करने का निर्देश देते हुऐ मौके पर स्‍टाफ पहुंचाने का आश्‍वासन दिया गया लेकिन अभी भी काफी वक्‍त बीत चुका था लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा था। और फिर हद तो तब हो गई जब उक्‍त तस्‍कर द्वारा रेंजर से सांठ-गांठ होने की बात कहते हुऐ मीडिया सहित डिप्‍टी रेंजर से अभद्र ब्‍यवहार पर उतर आया, यानी कि अब तक मामला काफी गरमा गया था अब विवाद की स्थित निर्मित होने लगी थी जिसे भांपकर मीडियाकर्मी द्वारा कोलारस एसडीओपी को पूरे मामले की जानकारी दी और मदद मांगी लेकिन उन्‍होंने मामला वन विभाग का होने का हवाला देकर अपना पल्‍ला झाड़ लिया । फिरा क्‍या था मौके पर लगभग चार घण्‍टे से असहाय अवस्‍था में खड़े डिप्‍टी रेंजर फरीद खान का सब्र टूटा और उन्‍होंने कैमरे के सामने वनों की तस्‍करी में विभाग की मिलीभगत का सारा राज उगल दिया और उक्‍त मामले में खुद को असमर्थ बताते हुऐ किसी भी घटना- दुर्घटना के लिये रेंजर को जिम्‍मेदार बता दिया। चूंकि डीएफओ के निर्देश में उन्‍होंन उक्‍त ट्रेक्‍टर पर कार्यवाही करने की बात कही तथा विना कार्यवाही छोड़ देने पर डिप्‍टी रेंजर पर कार्यवाही करने को कहा था सो अब लाचार अवस्‍था में डिप्‍टी रेंजर क्‍या करता सो वह विना अपनी जान की परवाह किये ट्रेक्‍टर को रेंज में लाने की कार्यवाही में जुट गया इस बीच मौके पर जैसे-तैसे अन्‍य तीन वन कर्मी भी पहुंच चुके थे साथ ही इस पूरे घटनाक्रम के चस्‍मदीद मीडियाकर्मी भी डिप्‍टी रेंजर को पूरा सहियोग कर रहे थे अब उक्‍त ट्रेक्‍टर को रेंज में ले जाने की कवायद शुरू हो गई थी कि एक बुलेरो गाड़ी जिस पर एक्‍स डीएसपी पुलिस लिखा हुआ था आई और ट्रेक्‍टर को रास्‍ते में रोक लिया बुलैरों में सबार चार युवकों ने भी उक्‍त मामले को रफा-दफा कर ट्रेक्‍टर को मौके से छुड़ाने का हर संभव प्रयास किया इतना ही नहीं अपितु उक्‍त ट्रेक्‍टर को किस प्रकार रेंज तक पहुंचाया गया वह बहुत जोखिम भरा था तस्‍करों ने कोलारस बायपास, बस स्‍टैण्‍ड सहित जगतपुर तिराहे तक ट्रेक्‍टर को रोकने का भरसक प्रयास किया विवाद की स्थित वनती- विगड़ती रही लेकिन आखिर कार डिप्‍टी रेंजर फरीद खान द्वारा उक्‍त वाहन को जप्‍ती में लेकर रात्रि लगभग 2 बजे मामला पंजीबद्ध किया गया। लेकिन इस सब में हालात यहां तक पहुंच गये कि मौके पर कुछ भी स्थिति बन सकती थी ऐसे में वन अधिकारीयों सहित पुलिस का सहियोग न मिलना माफियाओं को खुला संरक्षण होना जाहिर करता है।

रेंजर लेती हैं महीना, क्षेत्र में संचालित हैं चार ट्रेक्‍टर-

उक्‍त मामले को लेकर लगभग पांच घण्‍टे मचे बवाल ने रेंजर और माफियाओं के तालमेल संबंधी राजों के परखच्‍चे उड़ा दिये और सारी हकीकत सामने आने लगी। जिसमें साफ बताया गया है कि क्षेत्र में तस्‍करों द्वारा बृक्षों की कटाई जमकर की जा रही है तथा ट्रेक्‍टरों द्वारा प्रतिदिन रात्रि के समय परिवहन किया जाता है जिसके ऐवज में वन अधिकारी द्वारा मासिक सुविधा शुल्‍क लिया जाता है । और यही नहीं बल्कि यह सुविधा शुल्‍क जिले तक बंधा हुआ है जिसके बलवुते तस्‍करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि कोई भी घटना- दुर्घटना का होना यहां आम बात हो गई है।

 स्‍वंय को असहाय महसूस कर रहे वनकर्मी-

वन परिक्षेत्र अधिकारी का भृष्‍ट रवैया और वर्तमान हालातों को देखते हुऐ अब स्‍थित यह है कि अधीनस्‍थ स्‍टाफ स्‍वयं को असहाय महसूस कर रहा है जिसका प्रमाण भी उक्‍त समाचार में देखने को मिलता है इसके अलावा वन विभाग के सूत्रों की अगर मानें तो यहां स्‍टाफ की हालत ‘’गांधी जी के तीन बंदरों’’ जैसी हो गई है।

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