जी का जंजाल बन रहा अबैध उत्खनन
बेखौफ माफियाओं के
आगे नतमस्तक हैं जिम्मेदार
दबंग रिपोर्ट
बैराड़-
नगर में नियम
विरूद्व तरीके से बाजार सहित गलीयों में फर्राटे भर रहे ट्रेक्टर-ट्राली अब आमजन
के खासी मुसीवत का सबब बनेने लगे हैं जिनसे आये दिन घटना- दुर्घटनाओं का होना तो
जैसे आम सा हो गया है यही नहीं बल्कि बैराड़ की गलियों में तेज गति से वेखौफ दौड़
रहे इन ट्रेक्टर-ट्रालीयों पर लगे बड़े-बड़े लाउड स्पीकरों की तीव्र घ्वनि भी
लोगों को परेशान कर रही है। जी हां रेत माफियाओं के यह ट्रेक्टर- ट्राली अल सुबह
से लेकर देर रात्रि तक मुख्य बाजार सहित नगर की गलियों में फर्राटे भरते आसानी से
देखे जा सकते हैं जिन पर पुलिस प्रशासन की महरवानी इतनी है कि इन ट्रेक्टर चालकों
द्वारा रहियाशी इलाकों में भी तीव्र घ्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग एवं तीव्र
गति से गलियों फर्राटे भरने के उपरान्त भी इन पर आज दिनांक तक बैराड़ पुलिस
द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
यहां बताना लाजमी
होगा कि जिले की बैराड़ तहसील में पार्वती नदी से हो रहा काली रेत का अबैध उत्खनन
प्रशासन सहित माफियाओं के लिये सफेद हाथी बना हुआ है सुबह होते ही नगर में रेत का
अबैध उत्खनन कर परिवहन करते दर्जनों ट्रेक्टर- ट्राली देखे जा सकते हैं जो कि
बाजार सहित नगर की संकरी गलियों में वेखौफ फर्राटे भर रहे हैं और फिर हद तो तब हो जाती है जब तेज गति से संकरी
गलियों में दौड़ रहे इन ट्रेक्टर- ट्रालीयों पर बड़े- बड़े लाउड- स्पीकरों में
फूहड़ गाने बजा रहे ड्राइवर महिलाओं व बच्चीयों से छेड़खानी करने तक से नहीं
चूकते, ऐसे में माहौल क्या होगा इसका
अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि नियमों की यहां बात करें तो ट्रेक्टर- ट्राली कृषि
कार्य हेतु बनाये गये उपकरण हैं जिनका प्रयोग अन्य कार्यों में प्रतिबंधित है
परन्तु वर्तमान में कृषि कार्य के नाम से आसान किस्तों पर खरीदे जाने बाले इन
ट्रेक्टर- ट्रालियों का प्रयोग अबैध उत्खनन के लिये धड़ल्ले से किया जा रहा है।
और अगर बात करें कार्यवाही की तो जिम्मेदार महकमा मूक दशर्क बनकर इस नजारे को देख
रहा है बैराड़ थाना क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा अबैध उत्खनन भले ही जिले भर
में सुर्खियां बटोर रहा हो लेकिन जिम्मेदार अधिकारीयों के कान पर जूं तक रेंगती
नहीं दिख रही है जिसका सीधा सा अर्थ जिम्मेदारों की सहमति को जाहिर करता है।
माफियाओं ने खूंटी पर टांगे सभी नियम- कानून-
वर्तमान में जिस तरह का माहौल जिले भर में देखा जा रहा है उससे तो यही प्रतीत
होता है कि माफियाओं द्वारा सभी नियम- कानूनों को खूंटी पर टांग दिया गया है
जिसमें जिम्मेदार महकमा भी अप्रत्यक्ष्ा सहमति प्रदान करता नजर आ रहा है। कृषि
कार्य के लिये बनाये गये ट्रेक्टर- ट्रालीयों का प्रयोग सर्वाधिक अबैध उत्खनन के
लिये किया जा रहा है जो कि पूरी तरह नियम विरूद्व होने के साथ-साथ ही अपराध की
श्रेणी में भी आता है। लेकिन इस सब से बेखौफ माफियाओं द्वारा सभी नियम कानूनों की
खुलेआम जमकर धज्जियां उड़ाई जा रहीं है।
बाजार तथा गलियों में दौड़ रहे विना नम्बर के ट्रेक्टर- ट्राली-
तेज गति से बाजार तथा गलियों में दौड़ रहे इन ट्रेक्टर- ट्रालीयों से घटना-
दुर्घटनाओं का होना आम बात है लेकिन मुसीबत तब और भी बढ़ जाती है जब यह पता ही
नहीं चलता कि जिस ट्रेक्टर- ट्राली से घटना हुई वह किसका है क्यों यहां बाजार
सहित गलियों में तेज गति से दौड़ रहे दर्जनों ट्रेक्टर-ट्रालीयों में से किसी पर
भी वाहन नम्बर नहीं लिखा है अबैध उत्खनन लिप्त लगभग सभी ट्रेक्टर- ट्राली यहां
विना नम्बर प्लेट के ही दौड़ रहे हैं। और यही एक कारण भी है कि घटना- दुघर्टना
कारित होने के उपरान्त इनकी पहचान न हो पाने के चलते इनकी शिकायत तर्क दर्ज नहीं
हो पाती है। जिससे इन माफियाओं के हौसले और भी बुलंद होते नजर आ रहे हैं।
तहसीलदार ने माइनिंग को बताया जिम्मेदार-
बैराड़ नगर में फर्राटे भर रहे इन रेत के ट्रेक्टर- ट्रालियों के विषय में जब
तहसीलदार विजय शर्मा से प्रतिक्रिया चाही गई तो उन्होंने सारा मामला माइनिंग (खनिज
विभाग) से संबंधित होने की बात कह कर मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। जबकि सूत्रों
की मानें तो यहां हो रहे अवैध उत्खनन से कहीं न कहीं तहसील के तार भी जुड़े हुऐ हैं।
थाना प्रभारी का मजाकिया वयान-
इस मामले पर जब बैराड़ थाना प्रभारी सतीश सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने मजाकिया
अंदाज में मामले को हवा करते हुऐ कहा कि हम कार्यवाही करते तो हैं जब हमें दिखते हैं
तो हम कार्यवाही करते हैं और रही बात रेत खनन की तो बैराड़ में रेत है ही कहां जो अबैध
उत्खनन होगा। जबकि हकीकत क्या है यह सब जानते हैं।
वरिष्ठों के दखल की आवश्यक्ता-
उक्त मामला एक गंभीर विषय है जो कि सरकारी खजाने को खासी चपत लगाने के साथ ही
आमजन से भी जुड़ा हुआ है और फिर ऐसे में स्थानीय प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया
खेद का विषय है। यानी कि अब उक्त मामले में जिलाधीश महोदय तथा पुलिस अधीक्षक के दखल
की आवश्यक्ता है तब जाकर यहां हालातों में सुधार संभव हो सकता है।