दबंग रिपोर्ट कोलारस-
राजस्व विभाग की खस्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। यहां मिनिटों का काम महीनों
में और महीने भर का काम बर्षों तक पूरा नहीं होता, और अगर हो भी जाये तो गनीमत मानो। फिर ऐसे में कोलारस तहसील
में पदस्थ प्राईवेट ऑपरेटर, महिला कर्मचारीयों, पटवारीयों ने तो माहौल इतना खराब कर रखा है कि यहां आमजन को
अपने कार्य के लिये इनकी मिन्नतें करने पर मजबूर होना पड़ रहा है लेकिन इसके बाद भी
काम होने की कोई गारंटी नहीं है इतना ही नहीं बल्कि प्राईवेट ऑपरेटर और महिला कर्मचारी
तो स्वयं को अधिकारी से भी अधिक समझने लगे हैं यहां आये दिन लोगों को नामांतरण, बटवारा, जाति प्रमाण पत्र, EWS प्रमाण पत्र जैसी सरल प्रक्रियाओं
के लिये महीनों तक चक्कर लगाने पड़ते हैं जिसके बाद भी कार्य के होने की कोई गुंजाइश
नहीं होती, इसका
कारण और कुछ नहीं बल्कि खुद को तहसील का खुदा समझ बैठे इन अदने से कर्मचारीयों की खुदायी
है जो कि विना प्रसाद किसी कार्य को करने की अनुमति नहीं देती है और तो और यदि कोई
ब्यक्ति इनसे अधिक परेशान होकर सीधा अधिकारीयों से सम्पर्क साधे तो वह इन्हें इतना
नागवार गुजरता है कि पता चले कि जिस फाइल के लिये वह अधिकारी के पास खड़ा है वह तो
कार्यालय में है ही नहीं। इस स्थित से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तहसील कार्यालय का
माहौल कितना विगड़ गया है। अधिकारीयों को समय रहते इस विषय पर गौर कर हालातों में सुधार
किया जाना चाहिऐ जिससे सरकार की मंशा साकार होने के साथ ही आमजन को दुविधाओं राहत मिल
सके।
महिला पटवारीयों के दुर्लभ हैं दर्शन-
यहां तहसील में पदस्थ महिला पटवारीयों के दर्शन इतने दुर्लभ हैं कि इसके लिये ग्रामीणों को महीनों चक्कर लगा तपस्या करनी पड़ती है तब कहीं जाकर महिला पटवारीयों के दर्शन मात्र होते हैं कार्य होना तो फिर भी दूभर सा होता है अर्थात कोलारस तहसील के ग्रामीण इलाकों में पदस्थ महिला पटवारीयों की हालत यह है कि वे मुख्यालय पर नहीं बल्कि जिला मुख्यालय से ही कार्यालय का संचालन कर रहीं हैं और कभी-कभार तहसील कार्यालय में दर्शन देती हैं लेकिन अपने हल्का क्षेत्रों में फिर भी इनके दर्शन नहीं होते जिससे ग्रामीण आये दिन अपना अमूल्य समय इन महिला पटवारीयों की राह देखने में तहसील कार्यालय पर ब्यतीत करते देखे जाते हैं ।