कोलारस नगर में पानी
की किल्लत से निजात पाने की मंशा से सरकार द्वारा सिंध जलावर्धन योजना को मंजूरी दी
गई थी जिसका कार्य लगभग 18 करोड़ की लागत से होना था
। इसके बाद कोलारस नगर से पानी की किल्लत खत्म होने के साथ ही नगर के लगभग 5000 परिवारों
को स्वच्छ व शुद्ध पेय जल मुहैया होना चाहिऐ लेकिन वर्तमान हालातों को देखा जाऐ तो
उक्त योजना का कार्य भी पूर्ण हो चुका है और सिंध का पानी भी नगर में आ चुका है लेकिन
फिर ऐसा क्या हुआ जो स्वच्छ व शुद्ध पानी आने की बजाऐ नलों से गंदा व दूषित पानी
आ रहा है । हालांकि यह समस्या पूरे नगर में न होकर किन्ही स्थानों पर देखने को मिल
रही है लेकिन आखिर समस्या तो समस्या ही है।
यहां गौरतलव होगा कि कोलारस नगर के लिये सिंध जलावर्धन योजना (लागत,लगभग 18 करोड़) जिसका भूमि पूजन वर्ष
2018 के शुरूआत में हुआ था और वर्ष 2019 में उक्त कार्य भी पूर्ण होकर नगर में सिंध
का पानी आ गया था यानी कि अब नगर को उक्त योजना का लाभ मिलने लगा है जिसके मुताबिक
स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध होना चाहिऐ। लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत जिसके फलस्वरूप
आये दिन नगर में नलों से गंदा एवं बदबूदार पानी आने की शिकायते मिल रहीं हैं।
आये दिन फूट रही है पाइप लाइन-
उक्त योजना के अंतर्गत लगभग 6 करोड़ की लागत से विछाई गई पाइप लाइन जो कि आये
दिन फूटने की शिकायतें आ रही हैं जिसके चलते नलों से गंदा पानी आ रहा है। अर्थात 6
करोड़ खर्च हो जाने के उपरान्त भी आखिर कौन सी किस्म के पाइप इन लाइन में उपयोग किये
गये हैं जो कि आये दिन फूट रहे हैं।
1.24 लाख की लागत से बनी पानी
की 3 टंकिया-
उक्त योजना के अंतर्गत नगर में 1.24 लाख की लागत से तीन पानी की बड़ी टंकियों
का निमार्ण (मेला ग्राउण्ड, जगतपुर, पुरानी नगर परिषद) कराया
गया था जिसमें से आवासीय क्षेत्र पुरानी नगर परिषद में बनी पानी की टंकी महज एक वर्ष
ही पूर्ण कर सकी और भयंकर तरीके से जमींदोज हो गई थी इस बीच गनीमत तो रही कि दोपहर
का समय होने के कारण कोई जनहानि नहीं हुई।
अर्थात उक्त योजना में 18 करोड़ रूपये खर्च होने के उपरान्त भी यदि स्थित यह
है तो यहां यह कहना कोई बड़ी बात नहीं होगा कि क्या उक्त योजना भी भृष्टाचार की
भेंट चढ़ गई है।