‘’लो
अब कर लो बात’’
अभी अभी दरवार से एक फरमान निकला और रोजनामों की सुर्खियां बन गया, किसी ने यह भी न पूछा कि हुजूर ऐसा क्यों, क्या केवल एक ही सूवे में
अनिमितताऐं थीं या अन्य कोई बात, आखिर मामला था क्या, जो एक छोटे से कर्मचारी पर यह गाज गिरा डाली, जरा सोचा होता कि इन
दिनों हालात वेहद खराब हैं परिवार का भरण पोषण तथा अन्य कई और भी जिम्मेदारीयां
हैं उस पर और फिर अनिमितताओं का चलन तो आपने ही सिखाया था हालांकि बो बात और है कि
सेवा में कोई कमी रह गई हो।
जी हां हुजूर ने इन दिनों एक छोटे से कर्मचारी पर गाज गिराकर वफा की जो मिशाल पेश
करने की कोशिश की है वह काविले तारीफ न होकर वेहद ही निंदनीय है क्योंकि हुजूर की
रियासत के सभी सूबों में ईमानदारी और वफा का नाम भी हराम है और क्यों न हो साहव तो
खुद ही कमीशन के वोझ तले इतना दबे हुऐ हैं कि पानी अब गले तक आ गया है ऐसे में फिर
एक छोटे से कर्मचारी पर इतना सितम क्यों, वह तो वेचारा आपके ही गुमनाम फरमान पर अमल कर रहा है उसे भली
भांति पता है कि क्या गलत है और क्या सही लेकिन हुजूर की खुशी का ख्याल भी तो रखना
है और फिर शायद इसी वफा का इनाम आज हुजूर ने इसे दिया है। जहां उसका महनताना खजाने
में जमा करा दिया और आगे भी उसे कोई इनाम न मिलने का फरमान सुना दिया है।
लेकिन हुजूर आपकी यह वफा जब कहां थी तब आपकी रियासत के अलग- अलग सूबों से दर्जनों
फरियादी अपनी मूलभूत सुविधाओं की कमी और आपके दरवारियों के सितमों की फरियाद लेकर आपके
पास आते थे इस आस में कि आप कुछ करेंगे, लेकिन तब आप केवल अपने सारथी के साथ सरकारी रथ में सवार हो उस
सूवे में जाकर उन फरियादीयों की फरियाद का सौदा कर आते थे। अपने निजी हितों के लिये
राज-काज से द्रोह करते हुऐ खजाने को खुर्द-वुर्द कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है सभी
सूबों में विकास के नाम पर जो वटौने का खेल आपकी रियासत में चल रहा है वह तो आप ही
की देन है फिर आज अचानक इतना गुरेज क्यों ?
क्या अब यह कह दूं कि आपकी लगाई हुई आग की लपटें आप ही तक आ पहुंची हैं जिनसे वचने के प्रयास में अब इन अदने से कर्मचारीयों की बलि दी जा रही है। क्यों क्यों क्यों.........................?
Nice,this dabang news reporting channel it's a great....😀😀
ReplyDelete