दबंग की कही: हुजूर का एक्‍शन मूड, कहीं जाते-जाते लूटपाट की तैयारी तो नहीं

 

dabang ki kahi

दबंग की कही-

भाई शांत चित्‍त होकर लूटपाट की कई कहानियों को खुद में सिमेट कर रखने वाली कोलारस रियासत में इन दिनों हुजूर का एक्‍शन मूड खासा ववाल काट रहा है छोटे-छोटे सूबेदारों को आजकल आये दिन खूब दरवार में तलब किया जा रहा है और इतना ही नहीं छोटी-मोटी नसीहत और सजा का फरमान भी खूब किल्‍लीयां मार रहा है अब तो ऐसा लगने लगा है कि मानो हुजूर ने गंगा नहा ली  है और अब अपने पापों का सारा वोझ इन छोटे-मोटे सूबेदार के सर डालकर इनका सिर ही कलम न कर दिया जाये । लेकिन होना जाना क्‍या है यह तो आप और हम बखूवी जानते हैं। लेकिन फिर भी इन दिनों जो ववाल काटा जा रहा है वह आखिर किस लिऐ?

इससे भी तो आपको और हमे वावस्‍ता होना चाहिऐ न?

भाई इन दिनन रियासत में चल रहे गुपचुप चर्चों की यदि बात करें तो अब तक हुजूर को कोलारस रियासत का भार संभाले लगभग 16 महीने का समय बीत गया है और इस दरमियां राज दरवार से भी करोड़ों रूपये सूबों की देखरेख और व्‍यवस्‍थाओं के नाम पर रियासत में आ चुका है जो कि हुजूर की सरपस्ति में ही ठिकाने लगाया गया है। लेकिन विगत 15 महीनों तक हुजूर के दरवार में न तो कोई पेशी होते देखी गई और न ही कोई फरमान सूबेदारों को निकला हां अगर कुछ देखा गया तो वह केबल शान्‍त चित्‍त होकर गढ़े गये कमीशन वहीखाते थे मगर इन दिनों अचानक न जाने ऐसा कौन सा सुरमा हुजूर ने लगा लिया कि इनकी ऑखें अब गिद्धराज की निगाहों को भी मात दे रही हैं कहां क्‍या हो रहा है, कैसे हो रहा है हुजूर को सब दिख रहा है और नामुरादों की जमकर हाजिरी लगवाई जा रही है। जिसके चर्चे भी पूरी रियासत में मशहूर हो रहे हैं ।

तो फिर हमने भी सोचा कि आखिर बात क्‍या है जरा मामले को समझा जाऐ और फिर हम भी निकल लिये तहकीकात पर फिर क्‍या था अपुनने भी रियासत के भीतर अपने सूत्र फैला दिये और मामला कुछ यूं निकल कर आया कि विगत दिनों हुजूर जो कथरी ओढ़ कर घी पी रहे थे उसकी खबर राज दरवार तक जा पहुंची है वहां भी हुजूर के चर्चे आम हो रहे हैं और फिर ऐसे में कुछ भी फरमान निकला बड़ी बात नहीं होगा तो वहीं दूसरी ओर अब हुजूर का भी कोलारस रियासत से मोहभंग सा हो गया है और हो भी क्‍यों न कहते हैं कि पाप का घड़ा फूटने से पहले गंगा नहा लेना चाहिऐ फिर उसके बाद ही पुन: काय्रवाही शुरू करनी चाहिऐ जिससे समय और मिल जाता है। सो बस अब हुजूर भी इसी कहावत को चरितार्थ करने की कोशिश करते हुऐ दिन व्‍यतीत कर रहे हैं जिससे जाने के बाद यहां किये गये काले कामों का वोझ कुछ कम हो सके। और फिर इसी बहाने जाते-जाते पोटली भी बांध ली जाये तो सोने पर सुहागा होगा।

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