जातिगत समीकरणों से परे क्या क्षेत्रीय मुद्दों पर आधारित होगा पोहरी उप चुनाव।

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कुलदीप बैरागी, दबंग रिपोर्ट पोहरी-
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के उपरांत ग्वालियर चम्बल के  लगभग 16 सिंधिया समर्थक  विधायकों ने भी अपना स्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया जिसके बाद अब इन रिक्त विधानसभा सीटों पर उपचनाव होना है जिसमें से एक विधानसभा क्षेत्र पोहरी भी है । जहां से कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश राठखेड़ा पर आवाम ने अपना भरोसा दिखाते हुए इन्हें बिधायक चुना था जिसने आबाम के इस भरोसे को चकनाचूर करते हुए विधानसभा को लावारिस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया और कारण पूछे जाने पर बिकास कार्यों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अनसुना किया जाना बताते हुए अपना उल्लू सीधा कर लिया । अब बर्तमान में राठखेड़ा भाजपा सरकार में मंत्री हैं । खैर यह सब तो सियासी घटनाक्रम हैं जो आदिकाल से प्रचलित हैं लेकिन इस सब के बाद पोहरी की आवाम का क्या जो आज स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रही है । क्योंकि आवाम को केबल सुबिधा और क्षेत्र को बिकास की दरकार थी जो कि दशकों से यूँही बनी हुई है। हर बार चुनाव में बड़े-बड़े सपने दिखाने के उपरांत भी आज तक नतीजा सिफर ही रहा है । और फिर ऐसे में इस सियासी खेल ये पुनः विधानसभा को उपचुनाव की राह पर लाकर खड़ा कर दिया है। हालांकि इस सब के चलते आबाम को राजनीतिक दलों की जुमले बाजी की परख बखूबी होती नजर आ रही है जिसका ही परिणाम है कि आज आगामी उपचुनाव की चर्चा से सामना होने पर क्षेत्रीय बिकास को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा बात करें जातिगत समीकरणों की तो बह भी अब गड़बड़झाला प्रतीत होते नजर आ रहे हैं जिसे देखकर यह कहना  कोई बड़ी बात नहीं होगा कि इस बार सभी राजनीतिक समीकरणों को परे रख पोहरी उपचुनाव पूर्णतः क्षेत्रीय मुद्दों पर आधारित होगा ।
दिग्गजों सहित छुटभैया नेता भी दिखा रहे दाबेदारी -
फिलहाल अभी उपचुनाव होने में समय है और इस बीच क्षेत्र के दिग्गजों सहित कई छुटभैया नेता भी स्वयं की उम्मीदवारी शोशल मीडिया सहित कई अन्य माध्यमों से पेश करने में लगे हुए हैं। चूंकि इस समय प्रदेश स्तर पर राजनीतिक गर्मी का पारा आसमान छू रहा है और दलगत राजनीति की सभी सीमाएं तथा मर्यादा महाभारत के युद्ध की ही भांति धराशायी होती साफ देखी जा सकती हैं। इसके बाद बर्तमान  को भविष्य से नही आंका जा सकता है कि आज कोन कहाँ है और कल कहाँ होगा । लेकिन इस सब से अलग क्षेत्रीय राजनीतिक गलियारों में भी सियासी घमासान कुछ रोमांचक मोड़ लेता नजर आ रहा है जहां क्षेत्रीय राजनीति के महामहिमों से लेकर अभिमन्यु भी स्वयं को सिद्ध करने की होड़ में लगे हुए हैं ।
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