प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर विधानसभा की समितियों पर भी पड़ेगा। नई समितियां बनाने की कवायद शुरू हो गई है। 2020-21 के लिए ये समितियां बनाई जाना हैं। समितियों में सदस्य बनाने के लिए विधानसभा सचिवालय ने सभी दलों को पत्र लिखा है। पिछली बार जो समितियां बनाई गई थीं, उनमें सत्ता व संख्या के आधार पर कांग्रेस का दबदबा था। इस बार जो समितियां बनेंगी, उनमें भाजपा का वर्चस्व रहेगा।
विधानसभा में सदस्यों की संख्या के अनुपात में समितियों में दलों का प्रतिनिधित्व होता है, इस कारण वर्तमान स्थिति में इनमें भाजपा के ज्यादा विधायकों को मौका मिलेगा। सभापति भी सत्ताधारी दल के ही बनते हैं। पिछली समितियों में लोक लेखा को छोड़कर अन्य में कांग्रेस विधायक ही सभापति थे। जिन समितियों में मनोनयन के आधार पर सदस्य बनाए जाते हैं, उसके लिए सचिवालय में दलों को पत्र भेजा है। इसमें उनसे समितियों के लिए नाम मांगे गए हैं।
दो तरह की समितियां होती हैं विधानसभा में...
विधानसभा में दो तरह की समितियां होती हैं। एक में विधानसभा अध्यक्ष दलों से मिलने वाले नामों में से सदस्य नॉमिनेट करते हैं। दूसरी वित्तीय होती है, इनमें सदस्य निर्वाचन के माध्यम से चुने जाते हैं। इसमें लोक लेखा, प्राक्कलन आदि समितियां शामिल हैं।
अभी ये थे सभापति
वित्तीय और निर्वाचित समितियां
- लोक लेखा- नरोत्तम मिश्रा
- प्राक्क्लन- सोहनलाल बाल्मीक
- एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति- रामलाल मालवीय
- सरकारी उपक्रमों संबंध समिति- लक्ष्मण सिंह
- स्थानीय निकाय व पंचायती राज लेखा- बिसाहूलाल सिंह
नॉमिनेटेड समितियां
- गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों व संकल्पों संबंधी समिति- हरदीप डंग
- याचिका समिति- नीलांशु चतुर्वेदी
- प्रत्यायुक्त विधान- संजय शर्मा
- शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति- ग्यारसीलाल रावत
- विशेषाधिकार समिति- राजवर्धन सिंह दत्तीगांव
- पुस्तकालय, अनुसंधान एवं संदर्भ समिति- पांचीलाल मेड़ा
- आचरण समिति- टामलाल सहारे
समितियों के लिए विधायकों के नाम सुझाने राजनीतिक दलों को पत्र भेजा है। नाम मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया होगी। निर्वाचित समितियों का गठन तब होगा, जब सत्र चलेगा। - एपी सिंह, प्रमुख सचिव, विधानसभा
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