क्या प्रशासनिक गाईड लाइन से मुक्त हैं राजनीतिक आयोजन या फिर आज भी होंगी एफआईआर


दबंग रिपोर्ट शिवपुरी -
कोरोना काल में आये दिन नित नई प्रशासनिक गाईड लाइनें देखने को मिल रहीं हैंे जिसका मूल उद्धेश्य कोरोना महामारी को फैलने से रोकना है। इसी क्रम में सभी प्रकार के सामाजिक, धार्मिक व सामूहिक कार्यक्रमों को लेकर भी प्रशासन खासी सख्ती वरत रहा है। यहां गौरतलव होगा कि आज गणेश चतुर्थी है इस दिन अधिकांश जगह बड़े-बड़े पांडालों में भगवान श्रीगणेश विराजमान होते हैं इसके अलावा आज ही के दिन सुप्रसिद्ध हीरामन बाबा का मेला लेवा में लगाया जाता है जहां पीलिया रोग तथा सर्प दंश आदि के बंध कटते हैं यह मेला आस्था का बड़ा केन्द्र है जहां प्रति वर्ष दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु आते हैं इसी के साथ ही ग्राम राई में लगने वाला भैंरो बाबा का मेला, जो कि इस वर्ष कोरोना महामारी तथा प्रशासनिक नियमावली के अधीन होकर नहीं लगाया गया है। यही नहीं बल्कि वीते दिनों पीर बाबा के मेले का आयोजन भी इसी कारण से रोका गया था जहां दूर-दराज से आये मुसाफिरों को विना इवादत उल्टे पांव तक लौटना पड़ा था। इसके बाद आगामी धार्मिक कार्यक्रम जैसे राधाष्टमी, मौहर्रम ताजिया आदि को लेकर प्रशासन द्वारा पूर्व में ही नियमों का हवाला देकर सख्त चेतावनी दे दी गई है।जिसके चलते अब ये कार्यक्रम भी सामूहिक रूप से नहीं मनाये जा सकेंगे। लेकिन इस सब से उलट आये दिन प्रदेशभर में किसी न किसी रूप में आयोजित हो रहे राजनीतिक कार्यक्रमों के लिये प्रशासन की कोई गाईड लाइन कोई नियमावली देखने को नहीं मल रही है। प्रदेशभर में कन्हीं किसी नेता, मंत्री के स्वागत कार्यक्रम का आयोजन तो कहीं सत्ताधारी दल का सदस्यता अभियान सुर्खियां बटोरता नजर आ रहा है जिसमें सैकड़ों या हजारों की संख्या में सामूहिक भीड़ जुटाई जा रही है लेकिन इस सब पर प्रशासनिक नियमावली का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है।
आज ग्वालियर में है।सत्ताधारी दल का सदस्यता ग्रहण समारोह-
जबकि ग्वालियर इन दिनों कोरोना का गढ़ वना हुआ है जहां आये दिन संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है इससे इतर ग्वालियर से सटे अन्य जिले भी इस कोरोना संक्रमण से अछूते नहीं है बावजूद इसके आज ग्वालियर में सत्ताधारी दल का सदस्यता ग्रहण समारोह आयोजित किया गया है जिसमें पूरे संभाग से हजारों लोग शामिल होकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर प्रशासन की कोई सख्त नियमावली लागू होती नहीं नजर आई है हां महज औपचारिक तौर पर अवश्य प्रशासन सड़़कों पर उतर कर भीड़ को रोकने का असफल प्रयास करता नजर आ रहा है। लेकिन यहां बताना लाजमी होगा कि वाकई में अगर प्रशासन भीड़ को रोकना चाहता है या फिर ऐसे आयोजनों पर अंकुश लगाना चाहता तो पूर्व में ही अन्य उल्लेखित कार्यक्रमों की भांति इस आयोजन को भी नियमावली में वांध सकता था संवैधानिक तौर पर कानून सभी के लिये समान है कोई भी नागरिक या संगठन कानून का उलंघन नहीं कर सकता है और करता भी है तो दण्ड प्रक्रिया के अधीन दण्ड का पात्र भी है। लेकिन राजनीतिक कार्यक्रमों में जिस प्रकार से सभी नियम कायदों को अंदेखा किया जा रहा है उसे देखते हुऐ यहां यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि क्या प्रशासनिक गाईड लाइन से मुक्त हैं राजनीतिक आयोजन।
राष्ट्रीय पर्व से भी बड़ा हो सकता है कोई पर्व-
इस बार कोरोना माहामारी के चलते देश का सबसे वड़ा पर्व जिसे मनाने के लिये हर भारतवासी लालाहित रहता है वर्ष भर का भारी इंतजार और उस पर भी भारी हर भारतीय का उत्साह ऐसे हमारे राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस को इस बार कोरोना संक्रमण के चलते प्रतीकात्मक रूप से मनाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई सभी ने एक राय होकर प्रशासनिक नियमावली पर अमल किया तो फिर ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल कैसे किसी कार्यक्रम का आयेजन कर सकता है और फिर उससे समय तो यह और भी गैर जिम्मेदाराना हो जाता है जब आप सत्ताधारी हों । यहां यह बड़ा सबाल उठता है कि क्या कोई भी कार्यक्रम, आयोजन राष्ट्रीय पर्व से भी बड़ा हो सकता है। इस सबाल का उत्तर आज हर उस सख्श को देना लाजमी है जिसने ऐसे राजनीतिक कार्यक्रम में सिरकत की या उसे समर्थन दिया है।
शिवपुरी जिले से बड़ी संख्या में ग्वालियर रवाना हुऐ कांग्रेसी -
एक ओर जहां शाम होते ही शोसल मीडिया पर जिले की कोरोना रिपोर्ट की जानकारी मांगने तथा संक्रमितों की संख्या पर हाय-दैया मचाने वालों का बड़ा हुजूम देखने को मिलता है जिसमें कई समाज सेवी, नेता, जनप्रतिनिधीयो सहित प्रशासनिक कर्मचारी शामिल होते हैं तो वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण से बचाव और सुरक्षा संबंधी ज्ञान वांटने वालों की भी एक बड़ी तादाद शोसल मीडिया पर सक्रिय है और फिर वास्तविक्ता यह कि आज येसे ज्ञानी ध्यानी और जागरूक महापुरूषों के जिले से ही आज सत्ताधारी दल के सदस्यता ग्रहण समारोह में हजारों की संख्या में लोगों का शामिल होना वाकई में बड़े आश्चर्य का विषय तो है ही इसके अलावा इनके वापस लौटने पर परिजनों और पड़ोसीयों से सिर पर मंडराने वाला खतरा भी कम नहीं आंका जा सकता है।
क्या आज भी होंगी एफआईआर-
विगत दिनों श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष की भांति इस वार भी नव युवाओं द्वारा उत्साह के वसीभूत होकर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन करने पर प्रशासन द्वारा लगभग एक सैंकड़ा लोगों पर मामला दर्ज कर लिया गया था जिसमें से कई लोगों को मौके पर गिरफ्तार भी किया गया था ठीक उसी प्रकार आज सभी नियमों का उलंघन कर सत्ताधारी दल द्वारा वृहद स्तर पर राजनीतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों की संख्या में लोगों ने सिरकत की है। क्या आज भी प्रशासन इन पर मामला दर्ज करने का साहस जुटा पायेगा। 

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