दबंग की कलम से -
पुलिस अधीक्षक शिवपुरी राजेश सिंह चंदेल के निर्देशन एवं अति. पुलिस अधीक्षक शिवपुरी के मार्गदर्शन में पुलिस मुख्यालय के आदेश पर जिले में अवैध मादक पदार्थों के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए आपरेशन प्रहार एवं आमजन को अवैध मादक पदार्थों के सेवन से दूर रहने हेतु जागरूकता लाने के लिए आपरेशन प्रतिकार चलाया जा रहा है। पुलिस मुख्याालय के आदेश के पालन में अवैध मादक पदार्थों जैसे स्मैक, अफीम, गांजा,शराब इत्यादि के खिलाफ पुलिस सख्ती के साथ कार्यवाही कर रही है साथ ही अवैध मादक पदार्थों के नशे के खिलाफ जनसंवाद के तहत लोगों को जागरूक भी कर रही है। जो कि पुलिस द्वारा जनहित में चलाई जा रही एक उत्कृष्ट और सराहनीय पहल है इसके लिए जिला पुलिस टीम बधाई की पात्र है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन फिर भी तमाम कारणों के चलते पुलिस का यह (ऑपरेशन प्रतिकार ) कई अपवादों में घिरा हुआ है जो कि इस पूरी मुहिम के चलन को गलत दिशा और जन मानस में गलत संदेश पहुचाने का कार्य भी अप्रत्यक्ष रूप से कर रहा है जिसपर बिशेष ध्यान केंद्रित करने की आवश्यक्ता है जभी मुहिम की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी।
पुलिस मुख्यालय के इस आदेश के तहत जिला पुलिस बखूबी ढंग से इस ऑपरेशन को अंजाम देने में जुटी हुई है जिसके फलस्वरूप आये दिन पुलिस द्वारा आयोजित नशा मुक्ति हेतु जन संबाद कार्यक्रम काफी सराहनीय हैं ।
लेकिन इस बीच सबसे बड़ा अपवाद निकल सामने आ रहा है कि पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी इस पहल को आदेश स्वरूप चलन में लाया जा रहा है जबकि यह आचार-विचार का बिषय है ,और इसका चलन मात्र भी औपचारिक तौर पर ही हो रहा है उदाहरण के तौर पर इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य नशा मुक्ति बताया जा रहा है, जिसके चलन में जिला पुलिस द्वारा भिन्न भिन्न स्थानों पर जाकर आये दिन जन संबाद के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन बहीं दूसरी ओर देखें तो दिन के उजाले में मादक पदार्थों के सेवन से ब्यक्ति स्वयं तथा समाज पर पड़ने बाले दुष्प्रभावों पर उत्तम संबाद करने वाला बह पुलिस कर्मी शाम ढलते ही खुद किसी मादक पदार्थ का सेवन कर अपनी बाइक पर सवार हो अपनी ड्यूटी की ओर जा रहा है ।यही नहीं बल्कि शाम होने के साथ ही जिले के पुलिस थानों में क्या आलम नजर आता है बह भी किसी से छुपा नहीं है साथ ही समाज में मानवीयता का संदेश प्रसारित करने बाले जिम्मेदार समूह का अमानवीय व्यवहार हमेशा से चर्चा का ज्वलंत बिषय रहा है ।जिसमें परिबर्तन अति आवश्यक है तब जाकर कहीं पुलिस मुख्यालय द्वारा चलाये जा रहे इस कार्यक्रम की सार्थकता सिद्ध हो सकती है ।अन्यथा इस प्रकार के अन्य कई कार्यक्रमों को पूर्ब में चलन में लाया जा चुका है लेकिन कुछ पल के उपरांत बस्तविक्ता आज भी बही है जो पूर्व में थी ।
सर्ब प्रथम स्वयं नशा मुक्त हो पुलिस महकमा-
पुलिस इस व्यवस्था का एक जिम्मेदार महत्वपूर्ण हिस्सा है या फिर यूं कहें कि पुलिस रीढ़ है सामाजिक दृश्य की ।
रीढ़ जितनी सुदृढ़ होगी तस्वीर उतनी ही स्पष्ट और स्वक्ष होगी ,लेकिन अपवाद कि आज जिले के अधिकांश पुलिस थाने चौकियों में पदस्थ पुलिस कर्मी नशा तथा अमानवीय व्यवहार के आदि हैं जिनसे आहत जन मानस स्वयं के भीतर पुलिस की जिस तस्वीर को देखता है और फिर उसका चित्रण सामाजिक परिवेश में करता है बह अमानवीय होने के साथ साथ अशोभनीय भी है ।जिसका अनुमान आज समाज में धूमिल होती जिम्मेदार महकमे की छवि से लगाया जा सकता है।ऐसे में जन हित के उन सभी कार्यों में भी समाज को एक कुटिलता का दृश्य दिखाई पड़ता है जो इस महकमे द्वारा किये जाते हैं।
अर्थात इस प्रसंग के माध्यम से संपादक का मंतव्य पुलिस बिभाग के उन जिम्मेदारों को केबल इतना सा बोध करना है कि जिस आचरण की उम्मीद बे समाज से रख रहे हैं पहले स्वयं उस आचरण को अपनाए ,तब जाकर उनके द्वारा किए गए प्रयास सार्थक सिद्ध हो सकेंगे।