दबंग रिपोर्ट कोलारस-
विगत दिनों पूर्व कोलारस के देहरदा क्षेत्र में हुई दुर्घटना एक ब्यक्ति की मृत्यू के उपरान्त पुलिस द्वारा आरोपी को बचाने के प्रयास के मामले में क्षेत्रीय विधायक बीरेन्द्र रघुवंशी के नेतृत्व में कई भाजपा नेताओं और आमजन द्वारा थाना प्रथारी पर गुण्डा गर्दी तथा अन्य कई आरोप लगाते हुऐ पुलिस थाना कोलारस का घेराव कर ज्यूडिशियल जांच की मांग की गई थी कोलारस थाने पर लगभग 5 घण्टे चले हाईबोल्टेज हंगामे के उपरान्त बरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा थाना प्रभारी सुरेश सिंह सिकरबार को तत्काल प्रभाव से निलंवित कर कोलारस एसडीएम को मामले की जांच सौंपी थी।
जिसके बाद कोलारस थाने के निलंबित टीआई सुरेश सिंह सिकरबार द्वारा जारी एक बीडियो में अपना पक्ष रखते हुऐ विधायक रघुवंशी पर कई आरोप लगाते हुऐ नजर आये तथा थाने पर हुऐ इस हाईबोल्टेज हंगामे को ब्यक्तिगत रंजिश के चलते रचा गया सडयंत्र बताते हुऐ कहा गया था उक्त मामले में मेरी कोई गलती नहीं है में घटना के समय मौके पर मौजूद था और मामले में एफआईआर सब इन्सपैक्टर सुनील राजपूत द्वारा की गई है।मुझे तो आपसी रंजिश के चलते फंसाया गया है।
इसके बाद कोलारस थाना में पदस्थ सुनील राजपूत द्वारा एक अखबार को दिये गये बयान में बताया गया कि थाना प्रभारी उस समय घटना स्थल पर नहीं बल्कि अपने शासकीय बंगले में मौजूद थे और उनके कहने पर ही मेरे द्वारा मामला दर्ज किया गया था लेकिन हाल ही प्रकाशित एक समाचार के मुताबिक सुनील राजपूत अपने इस बयान से मुकरते हुऐ नजर आये । इस प्रकार से इस पूरे मामले में कोलारस पुलिस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुऐ नजर आ रही है तो बहीं इस पूरे मामले से लुकबासा पुलिस को फिलहाल दूर रखा गया है।
लेकिन इस बीच दूसरा और अह्म पहलू यह भी है कि उक्त पूरा मामला प्रथम दृश्टया लुकवासा चैकी का है क्योंकि उक्त घटना स्थल लुकवासा चैकी क्षेत्र में आता है और जानकारी के अनुसार घटना स्थल पर सर्व प्रथम लुकवासा पुलिस ही पहुंची थी फिर आखिर एफआईआर कोलारस थाने में क्यों हुई जबकि आये दिन कई मामले लुकबासा चैकी में ही पंजीकृत किये जाते हैं।
कुल मिलाकर उक्त मामले में कोलारस पुलिस के साथ-साथ लुकबासा पुलिस की भूमिका भी सबालों के घेरे में है लेकिन किन्ही कारणों के चलते फिलहाल लुकबासा पुलिस पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन इस पूरे मामले में यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या लुकबासा चैकी पर भी पड़ेगी इस मामले में होने बाली जांच की आंच ?