दबंग की कलम से
ब्यबस्था में सर्बव्यापी भृष्टतंत्र आज पूर्णतः हावी हो गया है, कई दशकों के उपरांत शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील को एक होनहार आईएस अनुविभागीय अधिकारी के रूप में मिला ,जो कि एक प्रकार से इस नगर के लिए किसी सौभाग्य से कम न था जिससे आवाम की कई उम्मीदें भी जुड़ी थीं लेकिन व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से कहीं न कहीं आवाम का भी कुछ सरोकार था सो कुछ लोगों को यह अधिकारी रास नहीं आ रहा था, लेकिन इसी बीच आवाम का एक बड़ा आम समुदाय इस अधिकारी के आगमन से बेहद खुश नजर आ रहा था और व्यस्था से त्रस्त हिस्सा भी इसकी कार्यप्रणाली की सराहना कर रहा था लेकिन इसी अवाम के बीच सामाजिक मखौटा पहने उस एक बड़े हिस्से को इस अधिकारी की कार्यशैली से बड़ा नुकसान भी होता नजर आ रहा था जिसे हम कई प्रकार से नामांकित कर माफिया कहते हैं ,जिनके अनेक प्रकार आज हमें देखने को मिलते हैं ,और ये माफिया इसी आवाम का बो हिस्सा हैं जो व्यवस्था में एक जिम्मेदार रीढ़ का मखौटा पहनकर समाज को कलंकित कर रहा है। उदाहरण के तौर पर प्रशासनिक माफिया जो सरकारी बेतन लेकर भी सरकारी तंत्र को कमजोर बनाते हैं ,राजनीतिक माफिया जो जनहित की सफेद चादर ओढ़ कर काले कामों को अंजाम देते हैं,शिक्षा माफिया जो नई पीढ़ी को दिशा देने के नाम पर आवाम की जेबों पर डांका डाल रहे हैं ,खनन माफिया जो प्रतिदिन सरकार को लाखों के राजस्व का चूना लगा राजतंत्र को कमजोर बना रहे हैं,नशा माफिया जो आवाम के भीतर नशा रूपी जहर घोलकर उसे नपुंसक बनाने में लगे हैं, और भी नाना प्रकार के माफिया सक्रिय हैं,जिन्हें बढ़ाबा देने के लिए प्रशासनिक और राजनीति माफिया सक्रिय हैं ।लेकिन उक्त अनुविभाग का पदभार मिलते ही इस युवा आईएस ने मानो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से माफिया खैमे की नाक में नकेल डालने का कार्य प्रारंभ कर ही दिया था और इसकी कार्यशैली इस माफिया बर्ग की कमर तोड़ने के लिए उपयुक्त थी लेकिन इसी बीच अपना ही खैमा(प्रशासनिक) मानो जैसे इस युवा आईएस का बड़ा शत्रु सा बन गया हो, यहां गौरतलब होगा कि कई बुद्धि जीवियों के लिखे अनुसार यहाँ भी बही बाकया चरितार्थ होता दिखा कि जग को जीतने की तासीर रखने वाला अक्सर अपने घर में हार जाया करता है
फिर बहीं दूसरी ओर समाज के सफेद पोश ठेकेदार,माफिया भी इसके विपरीत सतरंज की बिसात बिछा बैठे थे , जिनसे जीत पाना शायद ही इस व्यवस्था में मुमकिन हो।
लेकिन इस सब से लड़ते झगड़ते हुए इस युवा आईएस ने अपने स्वाभिमान को बखूबी बचाये रखा,और यह समझ गया कि व्यवस्था में व्याप्त इस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ इस लड़ाई का अंजाम शायद उसकी हार ही हो,जो उसे कतई रास नहीं आ रहा था, और फिर इस युवा अवस्था का जुनून और उस स्वाभिमानी शख्सियत के मन की बेदना को जान पाना शायद अन्य किसी के बस की बात नहीं थी, सो अपने बिशेष धैर्य और माँ सरस्वती की असीम कृपा के चलते उक्त युवा आईएस ने सरकार से अपने स्वाभिमान की रक्षा स्वरूप स्वेक्षिक स्थानांतरण की अर्जी स्वयं ही लगा दी,हालांकि व्यवस्था में ब्याप्त भ्रष्ट तंत्र भी उक्त अधिकारी के स्थानांतरण को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगा ही रहा था, लेकिन इस सरस्वती पुत्र ने अपने बिबेक के चलते इस व्यस्था में व्याप्त भ्रष्ट तंत्र से जूझते हुए हार कर भी जीत का परचम तो लहरा ही दिया है ।
इस लेख को लिखने का उद्देश्य मात्र ब्यवस्था के उन भ्रष्ट ठेकेदार, माफियाओं को यह बताना है कि झूटी शान और आकागिरी के आपके सपने को,आपकी उस ऊंची मजबूत पकड़ और ना पाक इरादों को कैसे मात दे एक युवा आईएस अधिकारी अपने सुनहरे भविष्य की इबारत लिखते हुए अपने पथ पर बढ़ रहा है ।
लेकिन अब इस शख्सियत का कोलारस से बिदा लेना भी तय है और अनुविभाग का एक चिराग को खोना भी तय है,आम आवाम की जायज उम्मीदों का टूटना भी तय है ।
लेकिन खुशी भी बहुत है कि इस व्यवस्था में भी अभी इस युवा आईं एस जैसे अधिकारी मौजूद हैं जो इस भृष्ट तंत्र से लोहा लेने को सजग हैं।।
कोलारस अनुविभाग से इस अधिकारी की बिदाई भी उस भ्रष्ट तंत्र के मुंह पर करारा तमाचा साबित होगी,जो लाख कोशिशों के बाद भी इसे हिला न सके।
दबंग की ओर से इस युवा आईएस के लिए चंद अल्फाज
क्या समेटेगा ये बक्त का गहरा दरिया हमें, हम किनारों से उबरने का हुनर जानते हैं
जिन हाथों ने खींची हैं ये लकीरे टेड़ी, हम उन लकीरों पे चलने का हुनर जानते हैं