दबंग रिपोर्ट कोलारस-
विद्यार्थीयों के लिये कोचिंग ब्यवस्था का होना एक सुविधा है जिसका चलन भी आज काफी देखने को मिल रहा है और देखा जाऐ तो यह एक अच्छी ब्यवस्था भी है विद्यार्थीयों के लिय,े जहाॅ बे अपने अध्यन में आ रही छोटी-बड़ी समस्याओं पर विस्तार से अध्यन तथा शिक्षक के उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर उसे दूर कर सकते हैं। लेकिन वर्तमान समय में यह कोचिंग कारोबार शिक्षकों के लिये विद्यार्थी हितों को दर किनार कर मोटी आय का जरिया भर बनकर रह गया है जिसके चलते आज विद्यार्थी और पालकों के लिये इस कोचिंग शब्द का अर्थ ही बदल गया है आज 90प्रतिशत विद्यार्थी यह समझते हैं कि कोचिंग अच्छा परीक्षा परिणाम प्राप्त करने का जरिया है इसके बिना अच्छे अंक प्राप्त कर पाना नामुमकिन है लेकिन यह कहां तक सही है इस पर विचार करने की आवश्यक्ता है।
क्योंकि वर्तमान में जिन कोचिंग संस्थानों में आप विद्यार्थी अध्यनन कर रहे हैं क्या वहां बाकई में उस स्तर का अध्यन कराया जाता है या फिर आपको केबल भ्रमित किया जा रहा है यह समझने बाली बात है।उदाहरण के लिये आज हाई स्कूल श्रेणी के विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों के भरोसे अध्यन करते है बे कोचिंग को ही सम्पूर्ण अध्यन का दर्जा देते हैं जिसके चलते स्कूलों में इनकी उपस्थित ना के बराबर होती है, इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्कूल में जो अध्यन किया जाता है या कराया जाता है बह कोचिंग मात्र से पूर्ण नहीं हो सकता है। लेकिन फिर भी आज विद्यार्थीयों में ऐसी धारणा जन्म ले रही है जिसका सीधा सा कारण सरकारी शिक्षक हैं जो कि कोचिंग के कारोबार में लिप्त हैं ऐसा कई बार देखने में आया है कि भौतिकी या रसायन विज्ञान का कोई शिक्षक विद्यालय में केवल औपचारिकता मात्र अध्यन करा विद्यार्थीयों से कहता कि यह आपको ऐसे समझ नहीं आयेगा,विस्तार से बताना पड़ेगा, यहां इतना समय नहीं मिलता आदि नाना प्रकार के भ्रामक तथ्यों से विद्यार्थीयों को भ्रमित कर उनके मस्तिस्क में यह विठाया जाता है कोचिंग में ही इस विषय का अध्यन कराया जा सकता है। और फिर विद्यार्थी भी इस ओर दौड़ पड़ता है। लेकिन यहां गौरतलब होगा कि क्या ऐसा कोई विषय है जिसका अध्यन विद्यालय में नहीं कोचिंग में ही संभब है, नहीं केबल एक भ्रान्ति है जो कि इन सरकारी शिक्षा माफियाओं द्वारा समाज में फैलाई जा रही है कि बिना कोचिंग अध्यन संभव नहीं है या अच्छे परिणामों के लिये कोचिंग अनिवार्य है।
आज सर्वाधिक संख्या में सरकारी शिक्षकों ने अपने-अपने कोचिंग संस्थान संचालित कर रखे हैं जहां बे जी जान लगा अध्यन करा रहे हैं लेकिन जिन विद्यालयों में वे पदस्थ हैं बहां के विद्यार्थीयों को वे कुछ नहीं बताते अथार्त विद्यालय में अध्यापन कार्य के प्रति कोई रूचि नहीं है और यहां जो विद्यार्थी अध्यन के प्रति गंभीर हैं उन्हें वे अपनी कोचिंग का रास्ता दिखा देते हैं फिर नाना प्रकार के प्रलोभन विद्यार्थीयों को बांधे रखने के लिये दिये जाते है। जिनके चलते विद्यालयों में अध्यन ब्यवस्था पूर्णतः ठप्प हो जाती है और फिर इन हालातों को देख विद्यार्थी भी विद्यालय की ओर रूख न करते हुऐ कोचिंग को ही अपने अध्यन का एक मात्र ठिकाना बना लेते हैं ऐसे में विद्यार्थी विद्यालय के मूल्य को नहीं समझ पाते, और इन सरकारी शिक्षा माफियाओं के सफल मंसूबे इन्हें भ्रमित कर भविष्य निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनते हैं ।
आज सरकार द्वारा लाखों रूपये मासिक खर्चा कर विद्यालय खोले जा रहे हैं बहां शिक्षकों को पदस्थ किया जा रहा है विद्यार्थीयों के लिये सभी सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है लेकिन सरकार से हजारों रूपये की मासिक वेतन लेने बाले इन विद्यालयों के कर्णधार अपने दायत्व के प्रतिकूल या तो अधिकारीयों की जी हुजूरी में संलग्न हो जाना पसंद करते हैं या फिर चोरों की भांति अपने दायत्व का गला घोंटने का प्रयास, जिसके फलस्वरूप आज शासकीय विद्यालयों में ब्यवस्थाओं के उपरान्त भी विद्यार्थी संख्या न के बराबर होती है और अगर होती भी है तो केबल कागजों तक सीमित होती है।
अतः इस सबके चलते यहां कहा कहा जा सकता है कि सरकारी शिक्षकों का कोचिंग कारोबार भविष्य निर्माण में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा है।