दबंग नजर-शिक्षा विभाग की नाकामी और भृष्ट नीतियों के चलते लागू नहीं हो सकी एनसीआरटी

दबंग रिपोर्ट शिवपुरी-
शिक्षा अब एक मोटे मुनाफे का ब्यापार बनती जा रही है आज अधिकांश लोग इस ब्यापार में पैसा लगाना चाहते हैं फिर चाहे बह डाॅक्टर, इंजीनियर हो या शराब ठेकेदार या फिर आला अधिकारी सभी इस ब्यापार में पैसा लगाना चाहते हैं पूर्व समय में पढे़-लिखे बेरोजगार युवा छोटे-मोटे रोजगार के तौर पर निजी स्कूलों का संचालन करते थे लेकिन आज बड़े-बड़े धनाट्यों ने इस क्षेत्र में अपने पैर जमा लिये हैं जिसके चलते आज शिक्षा संस्थान सेवा ब्यवसाय न हो कर मोटी कमाई बाला ब्यापार बन गया है ।इस क्षेत्र में इन धनकुबेरों ने इतनी पैसे के दम पर इतनी चमक-धमक को ला खड़ा किया है कि अब छोटे-मोटे पढे़-लिखे योग्य लोग इस लाइन से दूरियां बना रहे हैं और अयोग्य ब्यापारी इस क्षेत्र के सिरमौर बने हुऐ हैं। साथ ही प्रशासन भी इसमें पूर्ण सहियोगी बना हुआ है आज किसी भी ब्यक्ति को विना किसी योग्यता के निजी स्कूल का संचालन करने लिये मान्यता प्रदान कर रहा प्रशासन शिक्षा के ब्यवसाईकरण के लिये न सिर्फ जिम्मेदार ही है बल्कि दोषी भी है।
आज निजी स्कूलों की भारी भ्रकम फीस के अलाबा अन्य सभी क्रिया कलाप इन स्कूल स्ंाचालकों की मोटी आमदनी का हिस्सा बन गया है जैसे किताबें, ड्रेस आदि पर स्कूल संचालकों द्वारा कमीशन फिक्स कर लिये गये हैं। निजी स्कूल संचालकों द्वारा चलाई जा रही निजी प्रकाशनों की किताबों पर 40-50 प्रतीशत तक कमीशन निर्धारित होता है साथ ही ड्रेस पर भी कमीशन निर्धारित है जिसके चलते प्रशासन द्वारा लागू की गई एनसीआरटी की किताबें आज तक इन निजी स्कूलों में दाखिल नहीं हो सकीं जबकि एनसीआरटी की गुणवत्ता यह है कि देश के बड़ी-बड़ी परीक्षाओं जैसे पीएससी, आईएस आदि में भाग लेने बाले विद्यार्थी इन किताबों को पढ़ते हैं तो क्या यहां इन निजी स्कूलों में शिक्षा का स्तर उससे भी कहीं उच्च है या प्रशासन की नाकामी और भृष्ट नीतियों के चलते आज दिनांक तक एनसीआरटी इन निजी स्कूलों में दाखिल नहीं हो सकी।आज निजी प्रकाशकानों की गुणवत्ताहीन किताबों को पढ़ने पर मजबूर हमारे नौनिहाल और भृष्ट प्रशासनिक नीतियों के चलते शिक्षा का स्तर क्या रह गया है इससे आप और हम भली भांति परिचित हैं लेकिन फिर भी निजी स्कूल संचालकों के इस रवैये का विरोध न तो पालक संद्य करता नजर आता है और न ही कोई सामाजिक संगठन ? 
आज निजी स्कूल संचालकों की मनमानी का शिकार हो रहे पालकों और साथ ही वर्वाद होते भविष्य की तस्बीर प्रशासन को दिखाई नहीं दे रही है।
Dabang News

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