अगर जिला, जनपद पंचायतों की बारीकी से जांच कराए सरकार तो कर्ज मुक्त हो सकता है मध्यप्रदेश



उत्कर्ष बैरागी दबंग की कलम से-
मध्यप्रदेश में पंचायती राज ब्यबस्था बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मुख्य केंद्र बनती जा रही है ।बेशक जनहितकारी सोच के साथ बापू ने स्वराज का सपना देखा था जिसे साकार करने की मंशा से सरकार ने पंचायती राज ब्यवस्था को लागू किया ,जिसका परिणाम भी हमारे सामने है कि आज लगभग सभी गांव शहरों से जुड़े हुए हैं और ग्रामीणों को भी सरकारी योजनाओं में लाभ मिल रहा है लेकिन इस सब पीछे की जो तस्वीर है उसके बिषय में शायद किसीने भी नहीं सोचा होगा कि सरकार द्वारा हर बर्ष इस पंचायती राज ब्यवस्था पर जितनी राशि खर्च की जाती है उसका 20% कार्य ही धरातल पर देखने को मिलता है ।जिसका सीधा सा कारण कमीशन प्रथा है आज शासन द्वारा चलाई जा रही हर योजना सरकारी नुमाइंदों की मोटी आये का जरिया बनी हुई है ।जिला और जनपद पंचायतों ने हर कार्य हेतु कमीशन निर्धारित कर रखा है इसके अलावा सभी समन्धित अधिकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों का भी कमीशन निर्धारित है इस प्रकार किसी भी कार्य के लिए 35 से 40 प्रतिशत तक राशि कमीशन पर खर्च होती है ,इसके बाद कार्य पूर्ण होने की समय अबधी में आने जाने वाले अधिकारियों,कर्मचारियों के तमाम खर्चों पर भी 5%प्रतिशत ब्यय होता है कुल मिलाकर किसी भी योजना के क्रियान्वयन के लिए निर्धारित राशि का 45%प्रतिशत तक ब्यय सरकारी नुमाइंदों और जनप्रतिनिधियों के कमीशन पर होता है, तो फिर धरातल पर तस्वीर क्या होगी इसकी कल्पना भी सहज ढंग से की जा सकती है।
मध्यप्रदेश के लगभग सभी जिले और तहसीलों से एकत्रित किये गए आंकड़ों के अनुसार "प्रसंगबस"यह लेख लिखने का माध्यम प्रदेश सरकार को यह संकेत देना मात्र है कि जिस मध्यप्रदेश को सरकार इन भृष्ट ब्यवस्थाओं चलाने के लिए कर्ज में डुबोती जा रही है ,अगर उन्ही ब्यवस्थाओं पर पिछले एक दशक के ब्यय पर बारीकी से जांच कराए तो संभवतः मध्यप्रदेश कर्ज मुक्त हो सकता है ।
लेकिन यह कार्य किसी भी सरकार के लिए इतना आसान भी नहीं होगा , इसका दूसरा पहलू भी बड़ा ही बिचित्र है ,क्योंकि यदि ऐसा होता है कि सरकार यदि पिछले एक दशक में पंचायती राज व्यवस्था पर किये गए ब्यय की बारीकी से जांच करती है तो इसमें बड़ा घोटाला उजागर तो होगा ही लेकिन साथ ही इस कार्य का एक बिशेष प्रभाव भी देखने को मिलेगा कि सरकार के मंत्री,संत्री,तंत्रीयों को इन क्षेत्रों में भ्रमण,आमसभाओं आदि पर होने वाला खर्च स्वयं भी बहन करना होगा ।।
यह बिषय बेहद गंभीर है जिसपर सरकार को बिचार करना चाहिए ।।
Dabang News

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