भगवान शिव की नगरी में हुआ अभिमन्‍यू की हत्‍या का असफल प्रयास

प्रसंगबस लिखा गया यह लेख मेरी विरादरी को सम‍ि‍र्पित हैा
दबंग की कलम से -
आज हमारे समाज में फैली कुरीतियों ने भले ही हमें अपने वस में पूर्णतः जकड़ लिया हो लेकिन फिर भी आज एक बिरादरी ऐसी भी है जो समय -समय पर इन कुरीतियों से हमें अवगत तो कराती ही है साथ ही इनसे बचाव हेतु भी हमें मार्ग प्रशस्त करती है , लेकिन आज बड़े ही करूण ह्दय से लिखने को विवश हो गया कि आज उसी विरादरी में एक नवजात शिशु की हत्या का षणयंत्र स्वरूप प्रयास हुआ है। और इससे भी बड़े दुख की बात तो यह रही कि इस प्रसंग का लेखक भी स्वयं इसी विरादरी का एक हिस्‍सा  है। यह दृश्य ठीक वैसा था जव महाभारत काल में द्रोपदी के चीर-हरण का शणयंत्र था या फिर अभिमन्यू की हत्या का सफल प्रयास!
जी हाॅ अभी हाल ही भगवान शिव की नगरी शिवपुरी में विशेष बुद्धिजीवीयों के कुनवे में एक घटना घटित हुई जिसमें एक ब्यक्ति विशेष द्वारा किये गये गलत कार्य पर इस कुनवे की ही सदस्य (नवजात शिशु)द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई, जो कि उसका धर्म और कर्म दोनों ही था, लेकिन यहाॅ यह नवजात अभिमन्यू की भांति इन असामाजिक तत्बों के बीच पहुचा तो एक विशेष षणयंत्र नीति द्वारा इसे यहीं उलझा दिया गया ,और पूरी विरादरी जिसमें एक से बड़कर एक धुरंधर शामिल हैं मूकदर्शक बने रहे, इतना ही नहीं वल्कि आपसी विरोधाभाष के चलते इसी कुनवे के एक समूह द्वारा असामाजिक तत्वों को हवा दे इस नवजात शिशु के न केवल स्वाभिमान को कुचला गया बल्कि पूरी विरादरी को गाली दी गई , कुरीतियों को सुर्खियों में लाने बाली विरादरी का हिस्सा आज खुद सुर्खियां बन गया, बो भी इस प्रकार से कि जिसका कोई स्तर ही नहीं रह गया ।
यहाॅ इस प्रसंग का तात्पर्य किसी का विरोध या किसी से हमदर्दी न होकर सत्य स्वरूप् से सामना कराना मात्र है जहाॅ विरादरी के अधिकांष लोग या उनका परिवार गलत कार्यों में लिप्त हैं लेकिन बावजूद इस सबके यह कुनवा उन्हें संरक्षण प्रदान मात्र इसलिये करता है क्योंकि वे इसी विरादरी के किसी न किसी सदस्य के सगे संबंधी होते हैं लेकिन फिर उस समय क्या हुआ था जब इसी विरादरी के एक नवजात शिशु को षणयंत्रबस इन्हीं ने घेरा था 
खैर जो भी था लेकिन अपनी ही विरादरी के इस नवजात शिशु के लिये रचा गया  यह षणयंत्र और विखेरी गई स्याही,  उस कालिक के समान है जो लम्बे समय विरादरी के हर उस बुद्धिजीवी के चहरे पर दिखाई देगी जो इस षणयंत्र में शामिल था या जो इस षणयंत्र को मूकदर्शक बन देखता रहा है।
लेकिन इस पूरे प्रसंग पर हमारी आराध्‍य देवी मॉ सरस्‍वती की विशेष द़ि‍ष्टि रही और उन्‍होंने इतना सब हो जाने के उपरान्‍त भी इस नवजात शिशुु को शक्ति प्रदान की ,जो कुछ क्षण के इस आघात से उभरकर आज पुन: हमारे बीच खडा हैा 
लेखक स्‍वंय तथा सम्‍पूर्ण दबंग टीम अपनी आराध्‍य देवी मां सरस्‍वती का दिल से धन्‍यवाद करते हैंं  
  

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