क्या चंद गरीबों के आशियाने उजाड़ने तक ही सीमित थी अतिक्रमण मुहिम

दबंग रिपोर्ट कोलारस -
कोलारस नगर में बीते चंद दिनों पूर्व एसडीएम द्वारा अतिक्रमण विरोधी मुहिम को अमल में लाते हुऐ नगर के माॅडल स्कूल क्षेत्र में चंद गरीबों के आशियानों पर हिटैची चलवा दी  ,जिसके बाद आगामी समय में उक्त मुहिम को ठण्डे बस्ते में बांध दिया गया जिसे देखकर ऐसा लगता है कि कहीं इन गरीबों के आशियाने उजाडंने के पीछे कोई फिल्मी डील तो नहीं थी या फिर यह आक्रोश था उस समय का जब नगर के जगतपुर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने को लेकर शुरू की गई कबायद अपने श्री गणेश से पूर्व ही इति श्री की ओर बड़ गई ।
यह क्या था क्या नहीं इसकी पुष्टि करना तो मुश्किल है लेकिन यहां यह सबाल बार -बार सिर उठा रहा है कि कोलारस नगर में केबल क्या ये चंद लोग ही अतिक्रमणकारी थे जिनके आशियाने बनने से पूर्व ही उजाड़ दिये गये या फिर यह केबल आको्रश मात्र था एक आईएएस अधिकारी की शक्ति दिखाने के लिये ।
यहां गौरतलब होगा कि कोलारस नगर में सबसे अधिक अतिक्रमण जगतपुर क्षेत्र में जहां सारा प्रशासन बैठा है और दूसरा ए.बी. रोड़ जहां से सारा प्रशासन आये दिन सफर कर रहा है लेकिन बीते काफी बर्षों से लेकर आज तक ऐसा कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं जोे इस अतिक्रमण पर हिटैची चला सका हो ,इन क्षेत्रों में अतिक्रमणकारीयों की बहु मंजिला इमारते बर्षों से प्रशासन को उसकी नाकामी के लिये मूंह चिड़ाती हुई नजर आ रहीं हैं जिन्हें प्रशासन देखकर भी अंदेखा कर देता है ।
और बहीं दूसरी ओर आये दिन हमें ऐसी खबरें सुनने को मिलती रहती हैं जहां प्रशासन द्वारा अतिक्रमण विरोधी मुहिम के तहत अतिक्रमण हटाया जाता है लेकिन उनमें फर्क सिर्फ इतना होता है कि या तो बे सड़क किनारे हाथ ठेला लगा अपना भरण-पोषण करने बाले लोग होते हैं या फिर दशकों से बीरान पड़ी किसी शासकीय भूमि पर घास-फंूस के टपरे बना रात गुजारने बाले आदिवासी -
लेकिन बाकई में जिन अतिक्रमणकारीयों ने शासन की हजारों बीघा भूमि पर कब्जे कर ब्यवसायिक उपयोग कर लिया है या इमारतें बना रखीं है उन पर प्रशासन की कार्यवाही देखने के लिये आंखों को सिर्फ इंतजार ही करना होता है।
आखिर यह कैसी दौहरी नीति है जिसे प्रशासन अपना रहा रहा हैा

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