वर्तमान में जहां चुनाव सिर पर खड़ा है तो वहीं अब की बार 200 पार का नारा लगाने वाली भाजपा आपसी महाभारत में उलझी हुई है पार्टी में प्रत्याशी चयन को लेकर भारी खींचतान का दौर तो चल ही रह है साथ ही इस बार हर हाल में जीत का सपना देखने बाले माथे पर चिंता की लकीरें भी गहरी होती नजर आ रहीं हैं।
जहां एक तरफ कोलारस विधानसभा से टिकिटार्थियों की लंबी लाईन लगी हुई है तो बहीं किसी एक पर बिचार बनता देख दूसरा मोर्चा खोलने को तैयार बैठा है ऐसे में कोलारस विधानसभा में भाजपा की आपसी कलह संगठन को और भी कमजोर बनाती नजर आ रही है ।
तो बहीं सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने खड़ी कांग्रेस अब महेंद्र यादव को अपना सेनानायक बना विधानसभा क्षेत्र में उतार चुकी है कांग्रेस के सभी नेता,कार्यकर्ता अलग अलग दिशाओं अपनी पकड़ मजबूत कर चुनाव मैदान फतेह करने की हर सम्भव रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं ।
लेकिन इसी के विपरीत भाजपा अभी आपसी महाभारत से निपटने की रणनीति भी तैयार नहीं कर सकी है जो कि इस समय सबसे बड़ा संकट बनकर खड़ा है और फिर इस चुनाव की घड़ी में यह आपसी महाभारत किसी बड़ी छति का संकेत तो नहीं दे रहा है ।
यहां बता दें कि कोलारस सीट बर्तमान में कांग्रेस का गढ़ मानी जाने लगी है जिसे किसी भी हाल में कांग्रेस जाने देना नहीं चाहती, दूसरी ओर भाजपा भी इस सीट को हर हाल पाने की चाह रखती है जिसका जीता जागता प्रमाण उपचुनाव में देखने को मिला था ,उपचुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाबजूद भी मिली हार के चलते क्षेत्र में भाजपा नेता उसी समय से इस आमचुनाव की तैयारियों में जुटे हुए थे लेकिन बर्तमान में इस टिकिट के टंटे ने भाजपा खैमे में बड़ी उथल पुथल मचा दी है जिसके चलते बगावत की चिंगारी तो भड़क चुकी है बस अब इसे हवा मिलना ही शेष रह गया है ,ऐसे में जल्द ही कोई सही निर्णय सामने न आने की दशा में यह चिंगारी शोला बन कर उभर सकती है जिसकी लपटें एक बार फिर भाजपा को 5बर्ष का बनवास करा सकती हैं ।