जैसा कि विधानसभा चुनाव का माहौल दिन-ब-दिन गर्माता जा रहा है वहीं दूसरी ओर नेता नगरी चंद माह के लिए सड़कों पर उतर आई है आज हमारे नेता चंद माह के लिए हमें अपना भाई, दोस्त यहां तक कि परिवार का सदस्य कहने लगे हैं लेकिन यह भी अखंड सत्य है कि यह सब केवल चुनावी जुमले हैं ।
और आवाम हैं कि सब जानती है?
लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं बीजेपी की जिसमें वर्तमान में कई नेता हमारे सामने आम बने घूम रहे हैं जिनका दीदार आज हमें सहज ही हो जाता है लेकिन यहां की परंपरा रही है कि टिकट फाइनल होते ही कई नेताओं के दर्शन भर दुर्लभ हो जाते हैं यह नेता केवल चुनाव के समय ही प्रकट होते हैं और टिकट फाइनल होते ही भूमिगत हो जाते हैं बिगत काफी समय से चले आ रहे इस क्रम को देखते हुए प्रतीत होता है कि चुनाव समय में सड़कों पर उतरना और टिकट फाइनल होते ही भूमिगत हो जाना इन बीजेपी नेताओं की आदत सी हो गयी है जिसका मुख्य कारण गुटवाजी भी है मध्यप्रदेश भाजपा कई गुटों में बटी हुई नजर आती है कोलारस विधानसभा में भी नेताओं के अपने अपने अलग अलग गुट हैं और सभी गुटों के आका भी अलग अलग हैं!
यहां पार्टी का समर्थक कोई नहीं सभी अपने अपने आकाओं के समर्थक हैं यहां चुनावों में अक्सर देखा जाता है कि जिस गुट के आका को टिकट मिलेगा केवल उसी गुट के लोग चुनाव मैदान में सामने रहते हैं बाकी अन्य गुटों के नेता इसी के साथ भूमिगत हो जाते हैं इतना ही नहीं बल्कि ज़िन गुटों के आका टिकट लाने में सफल नहीं होते वे पार्टी के फैसले को गलत ठहराने के लिए विद्रोह करने पर उतर आते हैं यही मुख्य वजह है कि कोलारस उपचुनाव में पार्टी के सभी मंत्री,मुख्यमंत्री सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा सौगातों की बर्षा किये जाने के बावजूद भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था
और शायद इस बार भी यही क्रम पुनः दोहराया जाएगा आज क्षेत्र में घूम रहे कई चुनावी नेता टिकिट फाइनल होते ही भूमिगत हो जाएंगे ।